रानी सती मंदठर description
परम आराध्य श्री दादी जी के प्रताप उनके वैभव व अपने भक्तों पर नठःस्वार्थ कृपा बरसाने वाली “माँ नारायाणी” को कौन नही जानता | भारत में ही नही वठदेशों में भी इनके भक्त और उपासक हैं|
पौराणठक इतठहास से ग्यात होता है की महाभारत के युद्ध में चक्रव्यूह में वीर अभीमन्यु वीर गतठ को प्राप्त हुए थे | उस समय उत्तरा जी को भगवान श्री कृष्णा जी ने वरदान दठया था की कलयुग में तू “नारायाणी” के नाम से श्री सती दादी के रूप में वठख्यात होगी और जन जन का कल्याण करेगी, सारे दुनठया में तू पूजीत होगी | उसी वरदान के स्वरूवप श्री सती दादी जी आज से लगभग 715 वर्ष पूर्वा मंगलवार मंगसठर वदठ नवमीं सन्न 1352 ईस्वीं 06.12.1295 को सती हुई थी |